Chaitra Navratri 2025 : चैत्र नवरात्र 30 मार्च से शुरू, जानें घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि




बलिया : हिन्दू नव वर्ष व मर्यादा पुरुषोतम श्रीराम के अवतरण से पूर्व शक्ति आराधना का महत्वपूर्ण त्यौहार वासंतिक नवरात्र 30 मार्च 2025 दिन रविवार से शुरू हो रहा है। इस बार माता हाथी पर सवार होकर आएंगी, जिससे इस दौरान प्रदेश में पर्याप्त वर्षा, सुख-समृद्धि और आर्थिक क्षेत्रों में उन्नति के आसार बनेंगे। लेकिन नवरात्रि की समाप्ति पर माता भैंसे पर सवार होकर प्रस्थान करेंगी, जो शुभ नहीं है। ये संकट, प्राकृतिक आपदाओं और रोगों के बढ़ने का संकेत देगा तथा सामाजिक उथल पुथल की संभावना बनेगी।
बलिया जनपद के थम्हनपुरा निवासी आचार्य डॉ. अखिलेश कुमार उपाध्याय ने बताया कि इस बार का वासंतिक नवरात्र आठ दिन का है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार संवत यानि हिन्दू नव वर्ष का आगमन भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही प्रारंभ होता है। नवरात्रि में देवी दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिससे देवी माँ प्रसन्न होकर सभी मनोकामनायें पूर्ण करती है। इसके साथ ही सभी दुखों, समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है। 'नवरात्र' शुरु होते ही देवी माँ स्वर्गलोक से पृथ्वी-लोक पर अपने भक्तों का कल्याण करने के लिए आती है। नवरात्रि में देवी माँ स्वर्गलोक से पृथ्वीलोक पर अलग - अलग सवारी में आती है और सवारी के आधार पर ही मां अपने भक्तों को फल प्रदान करती है। संवत 2082 की प्रतिपदा। 30 मार्च से शुरू होगी, संवत की प्रतिपदा से ही नवरात्र के व्रत शुरू होते हैं
चैत्र नवरात्र अष्टमी 2025
चैत्र नवरात्र की महाअष्टमी 05 अप्रैल 2025 शनिवार को है। नवरात्रि' की दुर्गाष्टमी के कि माँ महागौरी की पूजा की जाती है। दुर्गाष्टमी के दिन 9 छोटे कलश स्थापित किये जाते हैं और उनमें देवी दुर्गा की नौ शक्तियों का आह्वान किया जाता है। दुर्गाष्टमी पूजा के समय देवी दुर्गा के सभी नौ रुपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के नौ दिन देवी दुर्गा के भक्तों के लिए विशेष होते है।
हृषिकेश पञ्चांग के अनुसार चैत्र महीने के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 मार्च शाम 04 बजकर 34 मिनट से शुरू होगी। यह तिथि 30 मार्च दोपहर 02 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए नवरात्र का शुभारम्भ 30 मार्च 2025 से होगा। इस वर्ष नवरात्र का शुभारीभ इस वर्ष नवरात्र का शुभारम्भ रविवार से हो रहा है। इसलिए इस वर्ष मां हाथी पर सवार होकर आयेगी और माताजी का प्रस्थान भी हाथी पर ही होगा। इसलिए यह वर्ष बहुत ही शुभ माना जा रहा है। ऐसा होने से धन्य-धान्य में वृद्धि होगी और आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
देवी पूजन में लाल फूल का करे प्रयोग
मां दुर्गा की पूजा में लाल रंग के फूलों का प्रयोग करना चाहिए। लाल फूल विशेषकर गुड़हल का फूल नवरात्र के हर दिन मां को अर्पित करना चाहिए। लाल पुष्प जहां रहता है, वहां का वातावरण हमेशा उत्साह से भरा रहता है। उन्होंने देवी भक्तों को बताया कि देवी पूजन में दुर्वा, तुलसी, आंवला, ऑक और मदार का फूल नहीं चढ़ाना चाहिए।
अष्टमी व्रत व महानिशा 5 अप्रैल को व 6 अप्रैल को नवरात्रि (महानवमी)
नवरात्रि का पहले दिन का व्रत 30 मार्च को व अष्टमी व्रत (अंतिम व्रत)
5 अप्रैल को व महानिशा पूजा भी 5 अप्रैल की रात्रि को व 9 दिन व्रत रहने वाले साधक , भक्त का पारण 7 अप्रैल को प्रातः 5 बजकर 48 मिनट के बाद किया जाएगा 6 अप्रैल को ही कन्या पूजन व नवमी का हवन किया जाएगा।
दुर्गा सप्त सती के पाठ का विशेष महत्व
आचार्य डॉ. अखिलेश कुमार उपाध्याय ने बताया कि नवरात्र में दुर्गा सप्त शती के पाठ का विशेष महत्व पुराणों में वर्णित है। इसमें देवी के प्राकट्य, देवताओं द्वारा देवी की स्तुति व पराक्रम का वर्णन है। मां दुर्गा ने स्वयं कहा है कि जो नवरात्र में मेरे गुणों का गान करेगा और देवताओं द्वारा की गयी स्तुति का पाठ करेगा, उसके घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होगी। उसके कुल की मैं रक्षा करूंगी। ऐसी मान्यता है कि पाठ करने या सुनने मात्र से बुरे सपने भी नहीं आते और कभी भी उपरी बाधाएं परेशान नहीं करती हैं। नवरात्र में नवार्ण मंत्र के जप से ग्रहों के बुरे प्रभाव से मुक्ति मिलती है।

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