बलिया में तबाही मचाने को बेताब गंगा, घाघरा और टोंस की लहरे, फ्लड एरिया में मची अफरा-तफरी ; डूबे कई सम्पर्क मार्ग

बलिया में तबाही मचाने को बेताब गंगा, घाघरा और टोंस की लहरे, फ्लड एरिया में मची अफरा-तफरी ; डूबे कई सम्पर्क मार्ग

बलिया : गंगा, सरयू (घाघरा) और टोंस की लहरे बलिया में तबाही की कहानी लिखने को बेताब है। गंगा नदी की हिलोर मारती लहरे जहां हाई फ्लड लेवल छूने को आतुर दिख रही है, वहीं घाघरा और टोंस नदी लाल निशान ऊपर मचल रही है। उफनाई गंगा का पानी कई गांवों में घुस गया है। गंगा की बाढ़ से बैरिया व बलिया तहसील क्षेत्र के तीन दर्जन से अधिक गांव प्रभावित हैं। दूबेछपरा इंटर कालेज और पीजी कालेज के प्रांगण में बाढ़ का पानी घुस गया है।

Flood in Ballia

बाढ़ नियंत्रण कक्ष द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक गायघाट गेज पर मंगलवार की सुबह 8 बजे गंगा का जलस्तर 59.450 मीटर रिकार्ड किया गया, जबकि यहां का हाई फ्लड लेबल वर्ष 2016 में 60.390 रिकार्ड किया गया था। यानी तबाही मचाने वाले रिकार्ड से गंगा की लहरे 94 सेमी दूर है, लेकिन बढ़ाव जारी है। वहीं, घाघरा का जलस्तर डीएसपी हेड पर सुबह 8 बजे 64.590 मीटर रिकार्ड किया गया, यहां खतरा विन्दु 64.010 मीटर है। उधर, टोंस नदी का जलस्तर पिपरा घाट 60.60 मीटर रिकार्ड किया गया, जबकि लाल निशान 60 मीटर है। 

Flood in Ballia

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गंगा नदी की बाढ़ का पानी रेपुरा, त्रिलोकपुर मनिया, आढ़त दूबे के छपरा, हरिपुर पोखरा, दूबेछपरा, गोपालपुर, सुघरछपरा, केहरपुर समेत कई गावों में घुस गया है। वहीं, नौरंगा, भुआलछपरा, चक्की नौरंगा, जवही, ब्यासी, सोमाली परानपुर इत्यादि गावों का जनपद मुख्यालय से सीधा सम्पर्क टूट गया है। उधर, बलिया शहर से सटे नीचले इलाकों में पानी की इंट्री ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। फ्लड एरिया के लोग बंधों पर शरण लेने को मजबूर है। वहीं, कुछ लोग अपना खटिया-पटिया समेटकर ऊंचे स्थानों पर पहुंचाते नजर आये। 

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उधर, रेपुरा-ओझबलिया मार्ग डूब गया है। ओझवलिया से रेपुरा जाने वाली सड़क पर बाढ़ का पानी आ जाने से राहगीरों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।त्रिलोकपुर मठिया (ओझवलिया) में किनारे के कुछ घरों में पानी घुस चुका है। ओझवलिया में किसान अपने अपने खेतों मे पानी आ जाने के कारण मकई की फसलों को पानी में घुस कर काट रहे हैं। ग्रामवासियों का कहना है कि अभी तक किसी प्रकार की कोई प्रशासनिक सहायता नहीं पहुंचाई गई है। जिसके कारण यहां के लोगों में रहने और खाने का संकट लगातार बना हुआ है। 

हरेराम यादव/शिवदयाल पांडेय मनन

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