पोस्टमार्टम हाउस में डॉक्टर और पुलिसकर्मी के उड़े होश, जब 'मरा' युवक उठकर करने लगा बात
Bihar News : नालंदा जिले के बिहार शरीफ स्थित सदर अस्पताल में सोमवार को एक ऐसी अजीबोगरीब घटना सामने आई, जिसने न केवल वहां मौजूद डॉक्टरों और पुलिसकर्मियों को हैरान कर दिया, बल्कि आम जनता को भी चौंका दिया। एक व्यक्ति, जिसे मृत मान लिया गया था और पोस्टमार्टम की तैयारी की जा रही थी, अचानक उठ खड़ा हुआ और उसने कहा, 'मैं अभी जिंदा हूं।' इस अप्रत्याशित घटना ने अस्पताल में अफरा-तफरी का माहौल बना दिया।
दरअसल बिहार शरीफ के सरकारी अस्पताल में पहली मंजिल पर बने टॉयलेट का दरवाजा काफी घंटों से बंद था, जिसके बाद वहां मौजूद स्वास्थ्यकर्मियों को शक हुआ। टॉयलेट चूंकि अंदर से बंद था तो अस्पतालकर्मियों को समझ में आ गया कि कोई न कोई तो अंदर मौजूद है। किसी अनहोनी की आशंका को देखते हुए वहां मौजूद स्वास्थ्यकर्मियों ने फौरन इसकी सूचना पुलिस को दी।
सूचना पर पहुंची पुलिस टॉयलेट के दरवाजे को तोड़कर अंदर घुसी तो एक व्यक्ति को टॉयलेट के फर्श पर बेसुध पड़ा हुआ पाया। पुलिसकर्मी और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों ने उसकी नब्ज टटोली और उसे मृत (मरा हुआ) मान लिया। धीरे धीरे शौचालय में शव मिलने की खबर जंगल की आग की तरह अस्पताल में फैल गई, जिसके बाद उसे देखने के लिए लोगों की भीड़ जुट गई। पुलिस भी फर्श पर पड़े युवक को मरा हुआ मानकर एफएसएल टीम का इंतजार करने लगी, ताकि तकनीकी साक्ष्यों को जुटाया जा सके।
इसी बीच शव मिलने की जानकारी सिविल सर्जन डॉक्टर जितेंद्र कुमार सिंह को मिली तो वो भी वहां पहुंचे और सिविल सर्जन ने बाथरूम में पड़े युवक को देखा और बिना नब्ज टटोले उसे मृत मानकर सफाई कर्मी को उसे पोस्टमार्टम हाउस ले जाने का आदेश दे दिया। इसके बाद जब स्ट्रेचर लगाई गई और पोस्टमार्टम की तैयारी होने लगी तो बेसुध पड़े युवक को यह एहसास हुआ कि उसे सब मरा हुआ समझ रहे हैं। इसके बाद वह उठकर खड़ा हो गया, जिससे वहां मौजूद पुलिसकर्मी, सिविल सर्जन और अन्य लोग हक्का-बक्का रह गए।
पुलिस ने व्यक्ति से पूछताछ की तो पता चला कि वह अस्थवां थाना क्षेत्र के जिराइन गांव का निवासी है। उसने बताया कि वह अस्पताल में दवाई लेने आया था, लेकिन नशे की हालत में शौचालय में गया और बेहोश हो गया। शौचालय में काफी समय तक बेहोश पड़े रहने के कारण उसे मृत समझ लिया गया।
यह घटना न केवल अस्पताल की व्यवस्था और पुलिस की तत्परता पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी बताती है कि कभी-कभी हमारी त्वरित धारणाएं गलत हो सकती हैं। हालांकि, यह एक राहत की बात है कि समय रहते सच्चाई का पता चल गया और एक जीवित व्यक्ति की जान बचाई जा सकी।
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