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बलिया : पीड़ितों ने लिखा मुख्यमंत्री और आयोग को पत्र, तब टूटी पुलिस की नींद ; फिर भी...
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हल्दी, बलिया : हल्दी थाना क्षेत्र के गायघाट गांव में बीते शनिवार को दलित बस्ती में जाने वाले रास्ते पर एक वर्ग विशेष द्वारा जेसीबी से गड्ढा खोदने को लेकर हुई मार-पीट के मामले पुलिस ने अब तक मुकदमा दर्ज नहीं किया। वहीं, संबंधित जेसीबी को भी छोड़ दिया गया। इससे आहत दलितों ने मुख्यमंत्री व राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग लखनऊ को पत्र लिखा, तब हरकत में आई पुलिस ने दो दलितों का मेडिकल कराया है।
हल्दी थाना क्षेत्र के गायघाट गांव में शनिवार को एक वर्ग विशेष के लोगों द्वारा जेसीबी से दलितों का रास्ता अवरूद्ध किया जा रहा था, जिसको लेकर जमकर लाठी-डंडे व ईट-पत्थर चले थे। इस मामले में पुलिस ने दोनों तरफ से दो-दो लोगों को शांति भंग में चालान कर दिया। अगले दिन पुलिस ने संबंधित जेसीबी को भी छोड़ दिया, लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं किया गया।
दलितों की ओर से गौतम राम पुत्र बीरेन्द्र राम ने मुख्यमंत्री व राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग लखनऊ को पत्र लिखा गया। पत्र में कहा गया है कि पूर्व सुनियोजित तरीके हमारे घरों को ध्वस्त करने के उद्देश्य से बस्ती को उजाड़ा जाने लगा। साथ ही जेसीबी द्वारा गड्ढा खोदा जाने लगा। विरोध करने पर विपक्षी बुरी तरह मारने-पीटने लगे और बस्ती जलाने पर आमादा हो गये।
बीच बचाव करने आई घर की महिलाओं को भी विपक्षियों ने नहीं बख्सा। जनसुनवाई पर पत्र देने दूसरे दिन पुलिस ने मुनी देवी (50) पत्नी जनार्दन राम व संजीव राम (21) पुत्र प्रेमशंकर राम का मेडिकल परीक्षण कराया। हल्दी थानाध्यक्ष सुनील कुमार सिंह ने बताया कि दो लोगों का मेडिकल कराया गया है। इस मामले में अभी तक कोई तहरीर नहीं मिली है। तहरीर आती है तो मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जायेगी। वाट्सएप पर लोग तहरीर भेज रहे है। कोई लेकर अभी तक नहीं आया है।
अब सवाल यह उठता है कि यदि पुलिस कार्रवाई की होती तो पीड़ित पक्ष मुख्यमंत्री व राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का दरवाजा क्यों खटखटाता ? शिकायत के बाद ही दो लोगों का मेडिकल कराना भी पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठा रहा है।
एके भारद्वाज
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