बीत रहा एक और साल, समेटे अपनी सुख-दुख की चाल...
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बीत रहा वर्ष 2024
बीत रहा एक और साल,
समेटे अपनी सुख-दुख की चाल।
कुछ सपने सच हो गए,
कुछ रह गए अधूरे सवाल।
जनवरी आई नई उम्मीदों संग,
फिर हर माह ने जोड़ा रंग।
कभी खुशियों की बहार आई,
तो कभी आँसुओं की धार छाई।
कुछ नए रिश्ते बने यहाँ,
कुछ पुराने छूट गए राहों में।
किसी ने पाया मंज़िल अपनी,
तो कोई उलझा रहा चाहों में।
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धरती ने देखे कई बदलाव,
कहीं मौसम ने किया परिहास।
कहीं प्रगति की लौ जली,
तो कहीं संघर्ष की रही तलाश।
2024, तुझे विदा करते हैं,
यादों की गठरी संग चलते हैं।
जो सीखा तुझसे, संभाल लेंगे,
जो खोया, उसे फिर पा लेंगे।
आने वाले नए वर्ष को,
खुशियाँ देकर सजाएंगे।
सपनों की नई उड़ान भरेंगे,
और ज़िंदगी को महकाएंगे।
स्वरचित
नन्द लाल शर्मा, केआरपी
सीयर, बलिया
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