IPS पर हमला करने वाले तीन सिपाही दोषी करार, सजा सुनते ही फूट-फूटकर रोए आरोपी, मांगी दया की भीख




UP News : बरेली में अपर सत्र न्यायाधीश सुरेश कुमार गुप्ता की अदालत ने वर्ष 2010 में तत्कालीन एसपी ट्रैफिक कल्पना सक्सेना पर जानलेवा हमला करने वाले तीन सिपाहियों और एक बिचौलिये को 10-10 साल कारावास की सजा सुनाई है। यही नहीं, अदालत ने दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। सजा सुनाए जाने के बाद दोषी कोर्ट में ही फफककर रो पड़े। वर्तमान में आईपीएस कल्पना गाजियाबाद में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त के पद पर तैनात हैं। घटना दो सितंबर 2010 को शाहजहांपुर रोड स्थित मजार के निकट कैंट थाना क्षेत्र में हुई थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कल्पना सक्सेना साल 2010 में बरेली में एसपी यातायात (SP Traffic) के पद पर तैनात थीं। उन्हें पता चला कि उनके कुछ सिपाही ट्रक वालों से अवैध वसूली करते हैं। लिहाजा 2 सितंबर 2010 को जब वह बरेली के कैंट थाना क्षेत्र में, बरेली-शाहजहांपुर रोड के पास मजार के पास पहुंच गई। वहां उन्होंने पुलिसवालों को रंगे हाथ ट्रक वालों से अवैध वसूली करते हुए पकड़ लिया। ऐसे में सिपाही रवींद्र, मनोज और एक अन्य धर्मेंद्र ने उन्हें कार से कुचलकर मारने की कोशिश की। उन्हें 200 मीटर तक कार से घसीटा भी गया। उनके सिर पर भी हमला किया गया। यहां तक कि पुलिसवाले कहते रहे कि 'आज तेरा आखिरी दिन है।' जब वे एसपी कल्पना सक्सेना को नहीं मार सके तो उन्हें धक्का देकर भाग गए। इस घटना ने देश भर के प्रशासनिक अमले को हिला कर रख दिया था।
सोमवार को दंड की पत्रावली पर सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने कहा कि यदि लोकसेवक अपने वरिष्ठ अधिकारी को जान से मारने की कोशिश कर रहा है तो वह जनता से कैसा व्यवहार करता होगा? पुलिसकर्मियों को ही देश के वरिष्ठ अधिकारियों व नेताओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी जाती है। यहां दोषियों ने व्यवस्था के विपरीत कृत्य किया है। न्यायालय ने कहा कि चारों दोषी कार को पीछे कर भाग सकते थे, लेकिन उन्होंने दिनदहाड़े वरिष्ठ अधिकारी पर कार चढ़ाकर जान से मारने की कोशिश की। ऐसे दोषियों को कठोर दंड दिया जाना चाहिए।
दोषी रविंद्र रोता हुआ बोला
न्यायालय में कड़ी सुरक्षा के बीच चारों दोषियों को पेश किया गया। न्यायाधीश के सामने पेश होने पर चारों दोषी रो-रोकर दया की भीख मांगते रहे। इनमें से एक दोषी न्यायाधीश से बोला कि मैंने आपको खाटूश्याम के रूप में देखा है। आपकी कृपा मुझ पर जरूर रहेगी। वहीं, न्यायालय कक्ष के बाहर दोषियों के परिजन भी रोते रहे और हाईकोर्ट जाने की बात करते रहे। सोमवार को कोर्ट पहुंचे चारों दोषी न्यायालय पहुंचकर न्यायाधीश के समक्ष दया की भीख मांगने लगे। वहीं, उन्हें रोता देख परिजन भी रोने बिलखने लगे। इसकी वजह से न्यायालय के बाहर गमगीन माहौल हो गया।

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