My Vaishno Devi Journey : कुछ ऐसा रहा भारत दर्शन टीम की वैष्णो देवी यात्रा का अनुभव

My Vaishno Devi Journey : कुछ ऐसा रहा भारत दर्शन टीम की वैष्णो देवी यात्रा का अनुभव

तू ही है दुर्गा तू ही काली, तू ही है मैया शेरावाली... शेरों वाली मां, मेहरों वाली मां, पहाड़ों वाली मां… सबका कल्याण करने वाली जगत-जननी जगदम्बिका... हज़ारों नामों से भक्त मां को बुलाते है। त्रिकूटा पहाड़ियों की गोद में स्थित गुफा में विराजमान वैष्णो देवी मां साक्षात महा शक्ति, महा लक्ष्मी तथा महा सरस्वती पिंडी रूप में भक्तों को दर्शन देती है। कहते हैं माता वैष्णो देवी के दरबार में वो ही जाता है, जिसे माता रानी खुद बुलावा भेजती है। कुछ ऐसा ही बुलावा आया और हमारी भारत दर्शन टीम (अजय कुमार पांडेय, शशिकांत ओझा, बृजभूषण पांडेय, राकेश तिवारी, शिवप्रकाश तिवारी मनोज, हरेकृष्ण यादव, अजय पांडेय, संजय कुमार वर्मा, अनिल पांडेय, दिलीप श्रीवास्तव और मैं यानि भोला प्रसाद) ऊंचे पहाड़ों पर स्थित भवन (मां वैष्णवी का दरबार) के लिए निकल पड़ी।
 
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हमारी यात्रा 12 अक्टूबर 2024 (दशहरा) को भृगु बाबा और बालेश्वर बाबा का जयकारा लगाते हुए बलिया से कार पर सवार हुई और महाकाव्य काल से ही प्रख्यात ॠषि-मुनियों की तपोस्थली बक्सर पहुंची। बक्सर स्टेशन से ही हमारी ट्रेन जम्मूतवी के लिए थी। 13 अक्टूबर को हम सभी जम्मू स्टेशन पहुंचे और वहां से वंदे भारत एक्सप्रेस से भारत दर्शन टीम कटरा पहुंची। कटरा त्रिकूटा पहाड़ियों के बीच बसा एक शहर है, जो रेल व बस द्वारा देश के सभी मुख्य शहरों से जुड़ा हुआ है। कटरा स्टेशन पर ही यात्रा रजिस्ट्रेशन काउंटर से हमारी टीम के सभी 11 सदस्यों ने यात्री पर्ची लिया।
 
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माता के दर्शन के लिए आये यात्री कटरा से ही अपनी यात्रा प्रारम्भ करते हैं। कटरा में रहने तथा खाने पीने के उचित प्रबंध है। कुछ देर तक इधर-उधर भटकने के बाद हम सभी ने कटरा चौक स्थित श्रीधर धर्मशाला में एक रूम बुक कराया। वहीं, फ्रेश होने के बाद पूरी टीम अपनी यात्रा बाणगंगा चेक पोस्ट से मां के दरबार की तरफ जय माता दी... जय माता दी... का जयकारा लगाते हुए पैदल ही चल पड़ी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कटरा से माता के भवन तक की दूरी लगभग 14 किलो मीटर है,  जिसे यात्री अपनी इच्छा अनुसार पैदल, घोड़ी-खच्चर या पालकी द्वारा तय करते हैं। ज्यादातर श्रद्धालु पैदल ही मां के दरबार तक जाते है। चढ़ाई के रास्ते में सीढ़िया भी बनी हुई है, लेकिन चढ़ने-उतरने के लिए सीढ़ियों के स्थान पर पैदल चलना ज्यादा आराम दायक है। 
 
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रास्ते में दुकानें सजी रहती है, जहां जल-पान की व्यवस्था है। पैदल यात्रा अत्यंत शांति देने वाली होती है। त्रिकूटा पर्वत की पहाड़ियों पर मां की धुन में हर भक्त लीन नजर आ रहा था। रास्ते के एक ओर ऊंचे पहाड़ तथा दूसरी ओर ऊंचाई से दिखता कटरा शहर का दृश्य मन को मोह लेता है। इस दृश्य को हमारे कुछ साथियों ने मोबाइल के कैमरे में भी कैद किया।
 
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हमारा अगला पड़ाव था अर्ध कुंवारी की गुफा का। मान्यता है कि इस गुफा में माता रानी ने नौ माह रहकर तपस्या की थी। इसे गर्भ जून भी कहा जाता है। अर्ध कुंवारी में रुकने तथा विश्राम करने की उचित व्यवस्था है। रात करीब 9.30 बजे हम सभी अर्ध कुंवारी पहुंचे। यहीं पर हमारी टीम ने श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के भोजनालय (Shri Mata Vaishno Devi Shrine Board Bhojnalaya) में उचित मूल्य चुकता कर स्वादिष्ट राजमा-चावल और कढ़ी-चावल का आनंद उठाया और रात्रि विश्राम किया। मां के दर्शन के लिए रातभर यात्रियों की चढ़ाई का सिलसिला चलता रहता है।
 
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सुबह करीब 4 बजे हमारी टीम माता रानी के दरबार (भवन) के लिए जय माता दी... जय माता दी... का जयकारा लगाते हुए निकल पड़ी। माता का भवन त्रिकूटा पर्वत की पहाड़ियों के बीच बना है। यहां माता रानी की पवित्र गुफा है, जहां माता रानी पिंडी रूप में विराजमान है। भवन प्रांगण में भोजनालय, स्नान-घर तथा शौचालय बने हुए है। विश्राम के लिए भवन बने हुए है। सामान रखने के लिए क्लॉक रूम की सुविधा उपलब्ध है। हमारी टीम  करीब साढ़े 6 बजे भवन पहुंची, जहां मां की कुछ विशेष कृपा हुई और कालिका भवन स्थित विश्राम कक्ष में हम सभी स्नान कर मां दर्शन को कतारबद्ध हो गये। 
 
कटरा
 
वह सौभाग्यशाली पल भी आया, जब हम गुफा द्वार पर पहुंचे और 42 मीटर दूरी पर स्थित मां के दरबार में हाजिरी लगाते हुए मां के दिव्य स्वरूप का दर्शन प्राप्त कर धन्य हो गये। मां के दरबार की अलौकिकता का वर्णन शब्दों से नहीं किया जा सकता, क्योंकि मां तो मां होती है, जिनके ममत्व की सिर्फ व सिर्फ अनुभूति की जा सकती है। शब्दों में वह ताकत नहीं, जो भवन की दिव्यता, भव्यता और प्राकृतिक सौन्दर्यता की व्याख्या कर सकें।
 
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मां के साक्षात दर्शन से आह्लादित हमारी टीम भवन से कुछ ऊपर भैरोघाटी पर विराजमान भैरो बाबा मंदिर के लिए निकल पड़ी। ऐसा कहा जाता है की भैरो बाबा के दर्शन के बिना वैष्णो देवी की यात्रा पूर्ण नहीं होती। मां के बाद भैरो बाबा के दर्शनोपरांत सुखद अहसास के साथ हमारी टीम पुनः कटरा पहुंची और श्रीधर धर्मशाला में रात्रि विश्राम की। 15 अक्टूबर की सुबह हमारी टीम अपनी खूबसूरती और देवी-देवताओं की घाटी के रूप में ख्यातिलब्ध हिमाचल प्रदेश के लिए निकल पड़ी। 
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भैरवनाथ मंदिर
 
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यात्रा से जुड़ी कुछ खास बातें
-मां वैष्णो देवी यात्रा की शुरुआत कटरा से होती है, जहां अधिकांश यात्री विश्राम करके अपनी यात्रा की शुरुआत करते हैं। कटरा से ही माता के दर्शन के लिए नि:शुल्क 'यात्रा पर्ची' मिलती है।
-यात्री पर्ची के बिना कोई भी यात्री बाणगंगा चेक पोस्ट से आगे नहीं जा सकता। दर्शनोपरांत यात्री को बाणगंगा चेक पोस्ट पर पर्ची जमा करना अनिवार्य है। यह नियम यात्रियों की सुरक्षा के लिए श्राइन बोर्ड द्वारा बनाये गए है।
-यात्रा प्रारंभ करते वक्त ही यात्रा पर्ची लेना सुविधाजनक होता है।
-रास्ते में ज्यादा सामान लेकर न जाएं। खाने-पीने का सामान रास्ते में उपलब्ध है।
-कटरा से माता के भवन तक पैदल पहुंचने में 6 से 7 घंटे का समय लगता है।
-माता का दरबार 24 घंटे दर्शनों के लिए खुला रहता है।
-माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड द्वारा जम्मू, कटरा, अर्धकुंवारी तथा माता के भवन के नज़दीक रहने की अच्छी व्यवस्था की गयी है। श्राइन बोर्ड की वेब-साइट पर ऑनलाइन कमरा बुक करने की सुविधा उपलब्ध है।अधिक जानकारी के लिए श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की वेबसाइट देखे।
-कटरा से सांझीछत तक हेलीकॉप्टर द्वारा जाने की सुविधा भी उपलब्ध है। अधिक जानकारी के लिए श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की वेब-साइट देखें।
-पूरी यात्रा में स्थान-स्थान पर जलपान व भोजन की व्यवस्था है। इस कठिन चढ़ाई में आप थोड़ा विश्राम कर चाय, कॉफी पीकर फिर से उसी जोश से अपनी यात्रा प्रारंभ कर सकते हैं। 
-छोटे बच्चों की चढ़ाई के लिए आप स्थानीय लोगों को निर्धारित शुल्क पर बुक कर सकते है।

Yantra

-कटरा से भवन की चढ़ाई के लिए पालकी, पिट्ठू या घोड़े उपलब्ध है, जिसका शुल्क निर्धारित है। 
-रास्ते में यात्रियों के विश्राम के लिए जगह-जगह छायांकृत बेंच लगे हुए है। रास्ते में अनेक स्थान पर साफ-सुथरा तथा जल युक्त शौचालय का निर्माण बोर्ड द्वारा करवाया गया है।
-कटरा तथा भवन प्रागण हमारी माता रानी का घर है। कृपया इसे साफ़ रखने में सहायता करें। किसी भी प्रकार की गन्दगी न फैलाएं।
आज के लिए इतना ही, फिर मिलता हूं हिमाचल प्रदेश की यात्रा के साथ। जय माता दी...

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