बसंत पंचमी आज : जानें मां सरस्वती की पूजा विधि, मंत्र और मुहूर्त से जुड़ी अपडेट
Basant Panchami : सनातन धर्म में माघशुक्ल पंचमी, वसंत पंचमी के रूप मनाया जाता है। वसंत पंचमी इस वर्ष 3 फरवरी दिन सोमवार को है। यह माघ का चौथा प्रमुख स्नान भी है, जिसमें काशी, प्रयागराज व गंगासागर में स्नान का विशेष महत्व है। शास्त्र के अनुसार बसन्त पंचमी की मान्यता अपुच्छ मुहूर्त की है। इसी दिन वाणी, ज्ञान, बुद्धि और विवेक की अधिष्टात्री देवी माँ सरस्वती की पूजा का विधान है।
शास्त्रों में कहा गया है कि बसंत पंचमी के दिन ही रतिकाम महोत्सव मनाया जाता है। इसके पीछे कारण यह है कि परम पतिव्रता रति व कामदेव प्रसन्न हो और सतत कर्म में हमें प्रवृत न करें। मन की एकाग्रता भी बनी रहे, क्योंकि इनके प्रचण्ड प्रताप को देवता, ऋषि, मुनि भी नहीं सह सकें तो मानव का क्या साम्य है कि उत्पादन, तापन, शोषण, स्तंभन इन अति कराल कामदेव के बाणों को सह सकें।
बसंत पंचमी के दिन ही होलीकादहन के निमित्त होलिका गाडी जाती है तो काशी में बागेश्वर देवी की जयंती मनाई जाती है। बंगाल में इस दिन को प्रेम दिवस भी कहा जाता है। शिक्षण संस्थानों इस दिन ही छोटे बच्चों का विद्यारंभ संस्कार (स्लेट व खड़िया या अष्टगन्ध चन्दन से कापी पर अनार के पतली टहनी (सलाका) से कराया जाता है।
बंगाली समाज में इस दिन पीले कपड़े पहने जाते है। पीले पकवान बनाये जाते है। पंजाबी लोग इस दिन मक्के की रोटी के साथ सरसो का साग व मीठा चावल चढ़ाकर ग्रहण किया जाता है। बसंत पंचमी का पर्व हमें अतीत की अनेक प्रेरक घटनाओं को भी याद दिलाता है। बनवासी लोग इस दिन शीला को पूजते है, जिसके बारे में उसकी श्रद्धा है कि श्रीराम आकर यही बैठे थे। यहाँ शबरी माता का मंदिर भी है और सरस्वती जी को बेर चढ़ाने की परम्परा भी है।
बसंत ऋतु को सभी छ: ऋतुओं में ऋतुराज के नाम से जाना जाता है। इस दिन ज्ञान की देवी माँ सरस्वती का जन्म हुआ था। इस दिन पीला वस्त्र पहना जाता है। पीला तिलक लगाया जाता है। भारत व भारतीयता को प्रेम करने वाले शिक्षाविद इस दिन मां शारदे की पूजा कर उनसे अत्यधिक ज्ञानवान होने की प्रार्थना करते है।
सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त
➊ 7 बजकर 7 मिनट सुबह से लेकर दोपहर 12 बजकर 35 मिनट के बीच।
➋ 12 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक ।
➌ अभिजीत मुहूर्त 11:40 से 12:40 के मध्य
बसंत पंचमी पूजन विधि
इस दिन पीले, बसंती और सफेद वस्त्र धारण करें, काले या लाल वस्त्र नहीं. इसके बाद पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुख करके पूजा की शुरुआत करें। सूर्योदय के बाद ढाई घंटे या सूर्यास्त के बाद के ढाई घंटे का प्रयोग इस पूजन के लिए करें। फिर, मां सरस्वती को श्वेत चंदन और पीले, सफेद फूल दाएं हाथ से अर्पित करें। प्रसाद में मिश्री, दही और लावा अर्पित करें, केसर मिश्रित खीर अर्पित करना सर्वोत्तम होगा। उसके बाद मां सरस्वती के मूल मंत्र 'ऊं ऐं सरस्वत्यै नम:' का जाप करें, जाप के बाद प्रसाद ग्रहण करें।
बसंत पंचमी के दिन करें ये काम
-बसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्तों में से एक माना गया है ऐसे में आप इस दिन कोई भी शुभ काम बिना मुहूर्त देखें कर सकते हैं।
-इस दिन कई ऐसे भी शुभ काम की जानी चाहिए जिससे आपको मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त हो सके।
-कहा जाता है मां सरस्वती हमारे हथेलियों में वास करती हैं। ऐसे में बसंत पंचमी के दिन सुबह उठते ही अपनी हथेलियों को अवश्य देखें. ऐसा करने से आपको मां सरस्वती का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होगा।
-बसंत पंचमी के दिन यदि आप शिक्षा से संबंधित चीजों का दान करते हैं तो भी आपको शुभ फल की प्राप्ति होगी
डॉ अखिलेश कुमार उपाध्याय
इंद्रपुर, थम्हनपुरा
बलिया (उ.प्र.)
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