बलिया : शिक्षक की अपील ने जगा दी एक बेबस मां के बुढ़ापे की लाठी मजबूत होने की उम्मीद
बलिया। कहते हैं एक संवेदनशील व्यक्ति को किसी का भी दर्द समझने के लिए खुद उस दर्द से गुजरने की जरूरत नहीं होती। परिस्थिति सामने आई नहीं कि वे ऐसे लोगों की मदद करने को उद्दत हो जाते हैं। भले ही वे गरीबी, भुखमरी, लाचारी, बेबसी जैसे दयनीय हालात से दो चार न हुए हों, लेकिन किसी जरूरतमंद का दुख और तकलीफ उनसे देखा नहीं जाता और झट से मदद करने को तैयार हो जाते है। एक ऐसा ही संवेदनशील और भावनात्मक मामला मुरलीछ्परा ब्लॉक में सामने आया है, जहां के शिक्षक की एक छोटी सी मुहिम ने एक बेबस मां के चेहरे पर न सिर्फ खुशी ला दिया, अपितु बुढ़ापे की लाठी मजबूत होने की उम्मीद भी जगा दी है।
मामला कस्तुरबा गांधी आवासीय विद्यालय मुरलीछपरा पर कार्यरत रसोईया श्रीमती कामेश्वरी देवी से जुड़ा है। दो बेटो की मां कामेश्वरी का एक बेटा दिव्यांग है तो दूसरा लीवर कैंसर की जद में। विवश कामेश्वरी अपनी पीड़ा बीआरसी मुरलीछपरा पर मौजूद शिक्षकों के समक्ष रखते हुए बेटे के इलाज को मदद मांगी। एक विवश मां की बात सुन वहां मौजूद एक शिक्षक ने अध्यापक वृन्द से एक छोटी सी अपील कर दी, जो विवश मां के लिए संजीवनी बनती दिख रही है। तमाम हाथ आर्थिक मदद को आगे बढ़े है, जिसका सिलसिला जारी है। आप भी बढ़ायें हाथ।
अध्यापक-वृन्द से अपील
पवन कुमार, श्रीमती कामेश्वरी के पुत्र हैं जो कस्तूरबा बालिका विद्यालय मुरलीछपरा में रसोईया के पद पर कार्यरत हैं। पवन कुमार लीवर कैंसर से पीड़ित हैं। एक सौभाग्य है कि पहले ही स्टेज में इसका पता लग जाने के कारण बेहतर ईलाज़ से उनका जीवन बचाया जा सकता है। इस तरह कामेश्वरी देवी का एकमात्र सहारा (एक अन्य पुत्र अपाहिज़ है इसलिए) पवन जीवन की जंग जीत सकता है। हम दो-चार अध्यापक उनका सहयोग कर रहे पर खर्च ज्यादा है। यदि पूरे ब्लॉक के अध्यापक, शिक्षा मित्र, अनुदेशक व कर्मचारी साथ दें तो एक नौजवान को जीवन मिल जायेगा। एक विधवा मां को सहारा व अपाहिज भाई को जीवन का आधार भी मिल जायेगा। यह हमारे बेसिक शिक्षा के लिए एक मिसाल होगा। आईए, छोटे-छोटे सहयोग से एक नेक और पुनीत कार्य का बीड़ा उठाएं। पवन का खाता संख्या नीचे है, जो धनराशि आप प्रेषित करें, उसका स्क्रीन शॉट बीआरसी ग्रुप व HM ग्रुप (जो आपसे संबंधित हो) पर जरूर भेज दें।
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