हरिवंश का सृजन-संसार : बलिया में राजयसभा के उपसभापति ने युवाओं को दी नई टेक्नोलॉजी अपनाने की नसीहत, बोले...

हरिवंश का सृजन-संसार : बलिया में राजयसभा के उपसभापति ने युवाओं को दी नई टेक्नोलॉजी अपनाने की नसीहत, बोले...

बलिया : राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा है कि 21वीं सदी में युवाओं का भाग्य शिक्षा ही बदल सकती है। वे टीडी कालेज के मनोरंजन हाल में गुरुवार को 'हरिवंश का सृजन-संसार' विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं संवाद कार्यक्रम में बोल रहे थे। टीडी कालेज और टाउन इंटर कालेज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे हरिवंश ने सबसे पहले भृगु मुनि किया। कहा कि आज मैं जो कुछ भी हूं, इसमें बलिया की मिट्टी का योगदान है। इसका गौरवपूर्ण अतीत रहा है। यह ऋषियों और साधकों तथा क्रान्तिकारियों की धरती है।

कहा कि शिक्षा ने लोगों का भाग्य बदला है। उन्होंने उद्योगपति नारायण मूर्ति का उदाहरण देते हुए कहा कि किस तरह उन्होंने शिक्षा के बल पर नए कीर्तिमान गढ़े। कहा कि शार्टकट से सफलता पाना चाहते हैं तो जीवन में कुछ भी हासिल नहीं कर सकते। पीएम मोदी के शासन काल में टेक्नोलाजी में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं। भारत दुनिया में मजबूत ताकत बन रहा है।

यह पश्चिम दुनिया को सुहा नहीं रहा है। हमें सपेरे और जादूगरों का देश कहा जाता था। बावजूद इसके आज पूरी दुनिया भारत की तरफ उम्मीद की नजर से देख रही है। कहा कि 2014 के बाद सवा लाख से अधिक स्टार्टप्स हैं। हुनरमंद लोगों को अवसर मिल रहे हैं। बलिया के युवाओं से स्टार्टप्स शुरू करने की अपील की। नई तकनीक से आने वाले दस सालों में पांच करोड़ नौकरियां मिलने वाली हैं। 

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हरिवंश ने कहा कि बलिया में वह ताकत है कि यहां के युवाओं को सही दिशा मिले तो नई इबारत लिख सकते हैं। इसलिए बलिया बदलाव की धरती बने। उन्होंने युवाओं के सामने पूर्व राष्ट्रपति डा. कलाम का उदाहरण देते हुए कहा कि उनसे प्रेरणा लें। हरिवंश ने इंजीनियर विश्वसरैया को आधुनिक विश्वकर्मा बताते हुए उन्हें आदर्श बनाने की अपील की। कहा कि संकल्प से साधना की ओर अग्रसर रहने की जरूरत है। युवाओं का नकारात्मक मानस बदले, इसके लिए महाविद्यालयों को आगे आना चाहिए।

शिक्षा का उद्देश्य स्कील डेवलपमेंट भी होना चाहिए। यह गांधी जी भी चाहते थे। वर्ष 2014 के बाद नई शिक्षा नीति बनी है। इससे सकारात्मक बदलाव होगा। पुरानी टेक्नोलाजी वाली नौकरियां खतरे में हैं। इसलिए आज के चुनौतीपूर्ण दौर में युवा नई टेक्नोलाजी अपनाएं। भविष्य की नियति का लेखन नई टेक्नोलाजी बन रही है। सुखद है कि प्रधानमंत्री मोदी इस पर जोर दे रहे हैं। आज युवा कई घंटे सोशल मीडिया पर समय गंवा रहे हैं। इससे आप अपनी प्रतिभा का हनन कर रहे हैं। 

महाकुंभ की सफलता पर उत्तर प्रदेश सरकार बधाई की पात्र

महाकुम्भ को सफल बनाने में योगदान देने वाले अधिकारी और कर्मचारी प्रशंसा के पात्र हैं। इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार बधाई की पात्र है। आज दुनिया चकित है कि 54 करोड़ लोग एक स्थान पर एकत्रित होकर सफलता पूर्वक वापस जा चुके हैं। आने वाले दिनों में महाकुम्भ में दो-तीन अमेरिका नहा लेगा। यह भारत का पौरुष है। जब मैं किसी अन्य देश में जाता था और बताता था कि एक दिन में कोरोना का दो दो करोड़ टीका लगता है तो लोग आश्चर्य में पड़ जाते थे। 

हिन्दी पत्रकारिता के देदीप्यमान नक्षत्र हैं हरिवंश

विशिष्ट अतिथि महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा के कुलपति प्रो. कृष्ण कुमार सिंह ने कहा कि हरिवंश जी का सृजन संसार बहुत विशाल है। इतना अध्ययनशील राजनेता और पत्रकार वर्तमान दौर में बहुत कम रह गए हैं। हरिवंश जी की किताब 'सृष्टि का मुकुट कैलाश मानसरोवर' का जिक्र करते हुए कहा कि मानव अपने किए होने का एहसास न करे तो उसका जीना बेकार है। मनुष्य को कृतज्ञ होना चाहिए।

हरिवंश जी दुनिया को आँखों से ही नहीं दिल से देखते हैं। जबकि दिल से दुनिया को देखने का चलन कम हो गया है। बलिया सौभाग्यशाली है कि यहां पैदा हुआ व्यक्ति दिल से दुनिया को देखता है। इनकी चिंताओं का दायरा बहुत व्यापक है। हरिवंश जी का गद्य कविता की तरह होता है। जिसमें मिट्टी की सुगंध सहज मिलती है। आज सूचना का विस्फोट तो हुआ है, पर ज्ञान की कमी हो रही है। हरिवंश जैसे लेखक ज्ञान के दायरे को बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। ये हिन्दी पत्रकारिता के देदीप्यमान नक्षत्र हैं।

बीज वक्तव्य देते हुए महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रो. कृपाशंकर चौबे ने कहा कि अभी तक हरिवंश जी ने 28 मौलिक किताबों का सृजन किया है। यह उनकी पत्रकारिता और लेखन यात्रा को समझने के लिए काफी है। हरिवंश जी की लेखनी में देश और दुनिया की समस्याओं पर चिंतन है। साथ ही समस्याओं का समाधान भी है।

हरिवंश जी की लेखनी में नैतिक मूल्यों की झलक मिलती है। चार दशकों तक हरिवंश जी देश के विरले संपादक हैं, जिन्होंने न सिर्फ देश और समाज के समक्ष सवाल उठाये बल्कि समाधान भी प्रस्तुत किया। अध्यक्षता टीडी कालेज प्रबंध समिति के अध्यक्ष व संचालन प्रो. दयालानंद राय ने किया। संगोष्ठी में स्वागत वक्तव्य टीडी कालेज के प्राचार्य प्रो. रवींद्र नाथ मिश्र और धन्यवाद ज्ञापन टाउन इंटर कालेज के प्राचार्य डा. अखिलेश सिन्हा ने दिया।

शहर की अच्छी सूरत के लिए डीएम को सराहा 

हरिवंश ने बलिया शहर में अतिक्रमण हटाने के लिए डीएम और सीडीओ की सराहना की। कहा कि रात में सड़कों पर घूमा तो साफ सफाई का नजारा दिखा तो मुझे अच्छा लगा।विद्यालयों को साफ करने के लिए सप्ताह में एक दिन सबको समय देना चाहिए। गांधी जी ने आजादी के आंदोलन में सफाई भी सिखाई थी। जिसे वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनाया है। जिसका नतीजा है कि आज देश के सार्वजनिक स्थल साफ दिख रहे हैं।

राजयसभा के उपसभापति ने दिए सवालों के जवाब 
राष्ट्रीय संगोष्ठी को सम्बोधित करने के बाद राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने टीडी कालेज के मनोरंजन हाल में जैसे ही बैठना चाहा, सामने से दर्जनों युवाओं ने सवालों की झड़ी लगा दी। उन्होंने एक-एक कर छात्रों के सभी सवालों के जवाब दिए। अधिकतर युवाओं के सवाल शिक्षा और रोजगार से जुड़े थे। उन्होंने कर्म करने और आगे बढ़ने की नसीहत दी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कोरोना के दौर में दुनिया के सामने भारत ने अपने सामर्थ्य परिचय दिया। यह देश की प्रतिभाओं के कर्म से सफल हुआ। उन्होंने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि मोबाइल पर कम और किताबों पर युवा अधिक समय दें।

रंगकर्मियों ने जीवंत की कविता 

संकल्प के रंगकर्मियों ने सुप्रसिद्ध कवि केदारनाथ सिंह की कविता को अपने नाटक के जरिए जीवंत किया। मशहूर रंगकर्मी टविंकल गुप्ता के निर्देशन व अभिनय में सहयोग पाकर सभी रंगकर्मियों ने हाल में उपस्थित सभी को झकझोर दिया। ट्विंकल गुप्ता के साथ रिया वर्मा, मोनिका गुप्ता, रितिक गुप्ता, ओमवीर खरवार, शिवम कृष्ण व तुषार पांडेय थे।

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