मौनी अमावस्या पर अमृत योग : मौन रहकर करें स्नान और इन चीजों का दान, जीवन में बनी रहेगी सुख-समृद्धि

मौनी अमावस्या पर अमृत योग : मौन रहकर करें स्नान और इन चीजों का दान, जीवन में बनी रहेगी सुख-समृद्धि

Mauni Amavasya : माघ महीने की माघी अमावस्या या मौनी अमावस्या 29 जनवरी को है। इस दिन सूर्य देव चंद्रमा के साथ मकर राशि में विराजमान होंगे। वर्ष के सभी अमावस्या में यह एकमात्र विशेष अमावस्या है। मौनी अमावस्या का दिन स्नान करने के साथ-साथ दान संबंधी कार्यों के लिए भी शुभ माना जाता है। कहते हैं जो व्यक्ति इस दिन मौन रहकर स्नान-दान करता है, उसके जीवन के सभी दुखों का अंत हो जाता है।साथ ही ऐसे व्यक्ति पर ईश्वर की सदैव कृपा बनी रहती है। 

बलिया जिले के थम्हनपुरा निवासी आचार्य डॉ अखिलेश कुमार उपाध्याय बताते है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान से पाप क्षय होने के साथ अरोग्य में वृद्धि होती है।मौनी अमावस्या पर दान करना बेहद श्रेष्ठ माना गया है। इस दिन जरूरतमंदों को दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही दान करने वाले व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। शास्त्रों में भी दान को सबसे बड़ा पुण्य का काम बताया गया है। गर्म वस्त्र दान, अन्न दान, पितरों के नाम तर्पण, गुड़, घी, तिल, शहद युक्त खीर गंगा में प्रवाहित करने से पितरों को तृप्ति मिलती हैं, जिससे घर में सुख समृद्धि, संतान प्राप्ति और भाग्य का उदय होता है। अगर पितृ दोष से पीड़ित हैं तो इस दिन तिल, तेल और वस्त्रों का दान अवश्य करें।

आचार्य डॉ अखिलेश कुमार उपाध्याय बताते है कि इस दिन भगवान शिव को केसर का दूध चढ़ाने से स्वास्थ्य उत्तम होता है। अविवाहित कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है। इस दिन पंचामृत अभिषेक से आर्थिक संकट से मुक्ति, नाग पूजन से कालसर्प दोष से मुक्ति, संध्याकाल में घृत युक्त लाल धागे से दीपक जलाकर तुलसी पूजन से विकट परिस्थितियों से मुक्ति व घी का दीपक जलाने से यमफंद यानी कि मृत्यु के भय से मुक्ति मिल जाती है। यहां तक की अकाल मृत्यु तक का योग नष्ट हो जाता है। इस दिन व्रती को दही तिल तामसिक चीजों को खाना इस दिन निषेध है।

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आचार्य डॉ अखिलेश कुमार उपाध्याय बताते है कि इस दिन मकर राशि में एक साथ तीन ग्रह चंद्रमा, सूर्य और बुध मिलकर त्रिवेणी योग बना रहे है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, सागर मंथन के दौरान अमृत कलश से कुछ बूंदें प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक, और उज्जैन में गिरी थीं। इन स्थलों पर स्नान करने से अमृत स्नान का पुण्य प्राप्त होता है, जो भक्त इन पवित्र स्थलों तक नहीं पहुंच सकते, वे घर में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। मौनी अमावस्या पर श्रवण एवं उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी। यही नहीं, मौनी अमावस्या पर दुर्लभ शिववास योग का संयोग बन रहा है। शिववास का संयोग मौनी अमावस्या यानी 29 जनवरी को सायं 06: 05 मिनट तक है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान शिव कैलाश पर मां गौरी के साथ विराजमान रहेंगे। 

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