प्रत्यक्षदेव हैं सूर्यनारायण : छठपर्व सूर्योपासना का अमोघ अनुष्ठान
Ballia News : सनातन धर्म के पांच प्रमुख देवताओं में सूर्यनारायण प्रत्यक्षदेव है। बाल्मीकि रामायण में आदित्यहृदयस्रोत द्वारा सूर्यदेव को जो स्तवन किया गया है, उससे उनके सर्वदेवमय, सर्वशक्तिमय स्वरूप का बोध होता है। छठपर्व सूर्योपासना का अमोघ अनुष्ठान है। इससे समस्त रोग, शोक, संकट, शत्रु नष्ट हो जाते है और संतान का कल्याण होता है।
कार्तिक शुक्लपक्ष षष्ठी के दिन सांध्यकाल में नदी, नहर या तालाब के किनारे व्रती स्त्री पुरुष सूर्यास्त के समय अनेक प्रकार के पकवानों को बाँस के सूप में सजाकर सूर्यनारायण को श्रद्धापूर्वक अर्घ्य अर्पित करते है। सप्तमी तिथि को प्रातः काल उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के उपरान्त ही व्रत पूर्ण होता है।
मिथिलांचल में इस व्रत को प्रतिहार (षष्ठी) के नाम से प्रसिद्धि प्राप्त है। प्रतिहार से तात्पर्य है- नकारात्मक, विघ्नकारी साक्तियों का उन्मूलन। सूर्यषष्ठी वाराणसी में डालाछठ के नाम से जानी जाती है। इस व्रत के अनुष्ठान तथा भक्तिभाव से किये गये सूर्यपूजन के प्रभाव से अनेक निःसंतान लोगों को पुत्र सुख प्राप्त होता है।
सूर्यदेव के आराधना से नेत्र, त्वचा और हृदय के सभी रोग ठीक हो जाते है। इस व्रत की महिमा उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड की सीमाओं को लाँधकर पूर्ण भारतवर्ष में व्याप्त हो गयी है। सूर्यदेव को अर्थ देते समय इस मंत्र को बोलना चाहिये...
एहि सूर्य! सहस्त्रांशो! तेजो राशे! जगत्पते!
अनुकम्प्यं मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर!
ज्योतिषाचार्य
डॉ अखिलेश कुमार उपाध्याय
इंदरपुर थम्हनपुरा बलिया
9918861411
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