Ballia News : प्रेम और मुहबत के साथ-साथ इंक़लाब की भाषा है उर्दू
Ballia News : विश्व उर्दू दिवस के उपलक्ष्य में अंजुमन तरक़्क़ी ए उर्दू बलिया की ओर से एक जलसा-ए-आम एवं गोष्ठी का आयोजन रविवार की देर शाम चन्द्र अवध उत्सव हाल में किया गया। इसमें बेल्थरा रोड, सिकन्दरपुर, रसड़ा, बैरिया आदि से उर्दू प्रेमी शामिल हुए कार्यक्रम का आगाज़ ज़िकरा परवीन के तिलावते कलाम पाक से हुआ। मुसर्रत जहां ने नात-ए- पाक पेश किया।
अलीना परवीन व यसरा परवीन ने अल्लामा इक़बाल का नज़्म सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा पेश किया। कवि फतह चंद बेचैन ने "मेरे मालिक उर्दू को तरक़्क़ी दे दे। तू करम करके हर तरफ उर्दू ही उर्दू कर दे। कविता पाठ से लोगो के दिल जीत लिया। डॉ मसूद साहब अलीग ने जंग ए आज़ादी में उर्दू ज़ुबान के शायरों अदीबों और उर्दू पत्रिकारिता के रोल पर प्रकाश डालते हुए उर्दू के इंक़लाबी तेवर का वर्णन किया। फरजाना खातून उर्दू शिक्षिका जूहा स्कूल करीमुद्दीनपुर ने चाहतों की ज़ुबान है उर्दू नज़्म तरन्नुम के साथ प्रस्तुत किया।
नगमा खातून शहजादा मुस्लिम डिग्री कॉलेज दिलदार नगर ग़ाज़ीपुर ने अल्लामा इक़बाल के हयात व खिदमत पर रौशनी डाली शायर अयूब अयाज़ ने अपनी बेहतरीन ग़ज़लों से लोगों का दिल जीत लिया। हाजी सोहैल खान ने उर्दू को प्यार भरी मीठी भाषा बताया। नूरुल होदा लारी ने सभी आगंतुकों का अभिनंदन कर जन नायक विश्वविद्यालय के कुलपति के जलसे में ना पहुंच पाने के कारण उनके द्वारा प्रेषित पैगाम लोगो को पढ़ कर सुनाया।
प्रोफेसर शिवशंकर पांडेय (हिंदी विभग जन नायक चन्द्रशेखर विश्व विद्यालय) ने उर्दू के इतिहास पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए अमीर खुसरो से मीर व ग़ालिब तक के शायराना अज़मत का वर्णन किया। कवि गोबरधन भोजपुरी ने अपनी भोजपुरी कविताओं द्वारा हिन्दू मुस्लिम एकता का पैगाम दिया। कार्यक्रम के मुख्यातिथि प्रोफ़ेसर मु. ताहिर (विभागाध्यक्ष, शिबली नेशनल कॉलेज आज़मगढ़) ने अपने संबोधन में उर्दू को तहज़ीब की ज़ुबान व ज़िन्दगी की ज़ुबान बताया। कहा कि अगर उर्दू खत्म होगी, तो हमारा वजूद खत्म होगा। बलिया एक इंक़लाबी धरती है, यही से उर्दू का नया सूरज निकलेगा। इसलिए आप अपने बच्चों को उर्दू पढ़ाए। उर्दू अखबार पत्र पत्रिकाओं को पढ़ने की आदत डालें।
मेधावियों का हुआ सम्मान
मुख्य अतिथि प्रोफेसर मु. ताहिर द्वारा नेट जेआरएफ को क्रेक करने वाले हाफिज जहांगीर साहब व तुबा रज़ी को अंग वस्त्रम व मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। जबकि तनवीर आलम अंसारी की अनुपस्थिति में उनके पिता खुर्शीद अहमद को सम्मानित किया गया। तनवीर आलम अंसारी ने इसी वर्ष अस्सिटेंट प्रोफ़ेसर व जेआरएफ निकाला है। अंजुमन तरक़्क़ी ए उर्दू द्वारा संचालित फ्री उर्दू कोचिंग की मेधावी छात्रा सिमरन को मोमेंटो भेंट कर उत्साहवर्द्धन किया। बिहार राज्य में उर्दू शिक्षक के रूप में नियुक्ति अब्दुल आखिर का भी सम्मान किया गया।
भारत रत्न व देश के पहले शिक्षा मंत्री को श्रद्धांजलि
11 नम्बर को महान स्वतंत्रता सेनानी भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम के साहित्यक व सामाजिक कार्यो का वर्णन करते हुए डॉ अब्दुल अव्वल ने अल्हलाल और अल्ब्लॉग अखबार को इंक़लाब और पत्रिकारिता का बेहतरीन नमूना बताया। नूरूल होदा लारी ने देश को यूजीसी,आईआईटी जैसे संस्थान देने वाले महान शिक्षाविद को याद किया।
अंजुमन तरक़्क़ी ए उर्दु द्वारा सभी अतिथि शायरों व अदीबों को अंगवस्त्रम व मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। अंत में कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ मज़हर आज़मी ने क़ुरान के उस आयत को कोड किया, जिसमें शिक्षा ग्रहण करने को फ़र्ज़ बताया गया है। सभी से शिक्षा को प्राथमिकता देने का अनुरोध भी किया गया। अल्ताफ़ अहमद, अब्दुल मोमिन, शाहिद परवेज अंसारी,मुमताज़ अहमद, ऐनुल हक खान, सुहैल अहमद खान, फ़ैयाज़ अहमद, रामप्रकाश सिंह, अयूब अयाज़, मु. इरफान, हाजी अतीकुर्रहमान, फ़िरोज़ खान, नसीम अहमद आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ इफ्ताखर खान, धनंजय पांडेय, मुस्ताक अहमद, अनीस अहमद, रज़ी अहमद, ज़हीर आलम अंसारी, शेख वासी अहमद आदि उपस्थित रहे। संचालन डॉ अब्दुल अव्वल ने किया।
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