अद्वैत शिवशक्ति धाम और श्रीवनखंडी नाथ मठ डुहा के पीठाधीश्वर 'मौनी बाबा' ब्रह्मलीन, 20 जनवरी की सुबह होगा अंतिम दर्शन
बलिया : सरयू नदी के पावन तट पर स्थित अद्वैत शिवशक्ति धाम और श्रीवनखंडी नाथ मठ डुहा के पीठाधीश्वर स्वामी ईश्वर दास ब्रह्मचारी 'मौनी बाबा' के ब्रह्मलीन होने की सूचना मिलते ही क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। राजसूय महायज्ञ की पूर्णाहुति पर मिली इस मनहूस खबर ने बाबा के अनुयायियों और शुभचिंतकों को अश्रुपूरित कर दिया। बीते 53 वर्षों से अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा शक्ति से श्रद्धालुओं और भक्तों को अभिसिंचित करने वाले मौनी बाबा की समाधि 20 जनवरी को अपरान्ह 12.06 बजे होगी। इससे पहले सुबह 6 से 10 बजे तक बाबा का अंतिम दर्शन भक्तगण कर सकेंगे।
सिकंदरपुर तहसील क्षेत्र के डुहा स्थित मौनी बाबा आश्रम दशकों से आस्था का केंद्र रहा है। ईश्वर दास ब्रह्मचारी उर्फ मौनी बाबा अपने गुरु महेंद्र मुनि के 1969 में निधन के बाद 1971 में यहां पधारे थे। 30 जनवरी 1972 से 13 जुलाई 1984 तक मौन व्रतधारी बाबा ने इस बीच वन खंडी नाथ मठ के तत्कालीन महंत और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सच्चिदानंद भारती से दान में प्राप्त भू-भाग पर उन्हीं के द्वारा मठ की आधारशिला रखवाई। बाबा की आध्यात्मिकता का प्रकाश पुंज चहुंओर फैला हुआ था।
मठ पर क्षेत्र और जनपद ही नहीं, गैर प्रांतों से भी भक्त आते थे। इस दौरान बाबा ने दिव्य गुरुधाम का निर्माण, परमधाम मंदिर की स्थापना और मौनीश्वर महादेव की प्राण प्रतिष्ठा समेत धार्मिकता के क्षेत्र में कई उल्लेखनीय कार्य किए, जिससे इनकी ख्याति दिनों दिन बढ़ती चली गई। यही नहीं बाबा ने अद्वैत शिवशक्ति संप्रदाय संबंधित कई लोकोपयोगी साहित्य की भी रचना की है। बाबा की गद्य एवं काव्य विधा पर आधारित 28 अनुपम ग्रंथों की रचना की ज्योति से जनमानस सदियों तक लाभान्वित होता रहेगा।
यज्ञ के दौरान ही हुए ब्रह्मलीन
त्रेता और द्वापर युग के बाद कलियुग में बाबा क।द्वारा 40 दिवसीय राजसूय महायज्ञ का अनुष्ठान 11 दिसंबर से चल रहा था। यज्ञ की शुरुआत के कुछ दिन पूर्व 24 नवंबर को इनकी तबियत खराब हो गई। लखनऊ स्थित डिवाइन हॉस्पिटल में एक हफ्ते के इलाज के बाद स्वस्थ होकर आश्रम लौट गए। 11 दिसम्बर को कलश यात्रा के बाद एक बार फिर बाबा की तबियत खराब हो गई। दो दिनों तक इलाज के बाद उन्हें लखनऊ ले जाया गया।
14 दिसंबर से 5 जनवरी तक डिवाइन हॉस्पिटल में इलाज चला। इस बीच इनकी तबियत काफी खराब होने पर मेडलैंड हॉस्पिटल लखनऊ में शिफ्ट कर दिया गया, जहां इलाज के दौरान 10 जनवरी की सुबह 6: 03 मिनट पर बाबा ब्रह्मलीन हो गए। लेकिन यज्ञ को देखते हुए उनके निधन की सूचना को गुप्त रखा गया। इस बीच 14 जनवरी को सोशल मीडिया पर मौनी बाबा के निधन की सूचना तैरने लगी। जिसकी पुष्टि यज्ञ की पूर्णाहुति के दिन हुई।
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