दादाजी के साथ गांव में यात्रा का अनुभव... बलिया DC एमडीएम अजित पाठक की कलम से




आज मैने अपने 92 वर्षीय दादाजी पंडित शिवजी पाठक जी के साथ नगवा, अखार, बयासी गांव का भ्रमण किया। जब वह यात्रा प्रारम्भ किये तो रास्ते में लाला चौधरी और 82 वर्षीय श्रीकिशुन चौधरी जी मिले। दादा जी बोले कि चलिए आप लोग भी, वह लोग दादाजी के अनुरोध को न ठुकराते हुए यात्रा के सहभागी बन गये। इस दौरान दादाजी उन घरों पर गए, जहां उन्हें साथी हम उम्र रहा करते थे। उनके कुछ दोस्त गुजर गए थे एवं कुछ दोस्त भी मिले, साथ ही उनके मित्रो की पत्नियां भी मिली। उन लोगों को देखकर मेरा भी मन प्रफुल्लित हो गया।
अखार में श्री रामजी तिवारी जी की 94 वर्ष की माताजी मिली, वो जब सुनी कि मेरे दादाजी आए है, वो खुद चलते हुए लोटे को मांजकर जल के साथ खाने के लिए काजू और किसमिस लायी, फिर हम लोग आगे डुमरी गए। वहां हम लोगों को एक दादी मिली, जिनकी उम्र 90 वर्ष की थी। जब मैने उनसे पूछा कि दादी आपके पति का क्या नाम था तो वह अपने नाती को आवाज लगाई और बोली कि बबुआ को अपने दादाजी का नाम बता दो। नाती ने अपने दादाजी का नाम लक्ष्मण पासवान बताया।
धन्य है भारतीय परंपरा, जहां आज भी पुरानी पीढ़ी अपने पति का नाम नहीं लेती। फिर हम नगवा में 92 वर्ष के श्री राधा मोहन पाठक बाबा के घर पहुंचे, जब वह सुने की बाबा आये है तो वह आकर मेरी गाड़ी की ड्राइविंग सीट पर बैठ गए। मेरा आप लोगों से बस यही कहना है कि हम अपने घर के बुजुर्गों का सम्मान करें, क्योंकि यह बुजुर्ग उसे दौर में पैदा हुए हैं, जब हमारा देश आजाद भी नहीं हुआ था। इन लोगों का महत्व हमें आज से 10 साल बाद पता चलेगा, जब हम यह मिस करेंगे कि हमारे घर भी एक बुजुर्ग हुआ करते थे, जो आजादी के पूर्व पैदा हुए और अपने जीवन में उन्होंने आजादी भी देखी। आज से लगभग 10 से 15 साल बाद कोई भी आदमी उस दौर का नहीं होगा, जो देश को आजाद होते हुए देखे होंगे।
अजित पाठक, डीसी (एमडीएम) बलिया की फेसबुकवाल से


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