एक नारे ने रोका भाजपा का विजय रथ

 एक नारे ने रोका भाजपा का विजय रथ



लखनऊ। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी ढांचा गिराए जाने के बाद मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने इस्तीफा दे दिया और उत्तर प्रदेश चुनाव की दहलीज पर खड़ा हो गया। बीजेपी को भरोसा था कि राम लहर उसे आसानी से दोबारा सत्ता में पहुंचा देगी। लेकिन कांशीराम की सलाह पर मुलायम सिंह ने जनता दल से अलग होकर समाजवादी पार्टी बनाई।
भाजपा को रोकने के लिए बसपा से गठबंधन किया। 1993 में यूपी के विधानसभा चुनाव में भाजपा-विहिप जय श्रीराम के नारे लगाते थे। तो गठबंधन का नारा था ‘मिले मुलायम-कांशीराम, हवा हो गए जय श्रीराम’। इस नारे ने बीजेपी का विजय रथ रोक दिया था।
 1993 में चुनाव हुए और 1991 में 221 सीट जीतने वाली भाजपा 177 सीटों तक सिमट गई। सपा ने 109 और बसपा ने 67 सीटें हासिल कीं। मामला विधानसभा में संख्या बल की कुश्ती तक खिंचा तो सपा-बसपा ने जोड़-तोड़ कर सरकार बना ली। 4 दिसंबर 1993 को मुलायम दूसरी बार यूपी के सीएम बने, लेकिन 1995 में गेस्ट हाउस कांड के बाद बसपा ने समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई।

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