तो क्या ‘यादम’ के सहारे सवर्णों पर डोरें डाल रही सपा
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बलिया । वैसे तो लोकसभा के आम निर्वाचन की अधिसूचना जारी होने के साथ ही बागीधरा का राजनीतिक पारा ऊपर चढ़ने लगा था, लेकिन जैसे-जैसे मतदान की तिथियां करीब आ रही है वैसे-वैसे लोग या यंू कहे चट्टी चौराहा के राजनीतिक विशलेषक उम्मीदवारों को घोषणा को लेकर उत्सुक है। हालांकि केन्द्र व प्रदेश की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी ने अपने पत्ते खोल दिये है, लेकिन गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रही सपा-बसपा और कांग्रेस द्वारा अपने उम्मीदवारों की अधिकारिक घोषणा नहीं होने से मतदाताओं में अहापोह की स्थिति बनी है। ऐसा प्रतीत होता है कि सपा गठबंधन के बेस वोट ‘यादम’ के अलावा सर्वण मतदाताओं पर डोरें डालने के चक्कर में है।
गौरतलब है कि बलिया जनपद के वोटर कुलतीन लोकसभा सीटों के लिए मतदान करते है, जिनमें बलिया, सलेमपुर व घोसी ;आंशिकद्ध शामिल है। लेकिन राजनैतिक विशलेषकों में बलिया की सीट के लिए ही उत्सुकता देखी जा रही है। इस सीट में बलिया जनपद की तीन विधानसभाएं क्रमशः बैरिया, बलिया नगर, एवं फेफना के अलावा गाजीपुर जिले की जहुराबाद एवं मुहम्मदाबाद विधानसभा शामिल है। कुल तकरीबन 16.5 लाख वोटरों पाली यह सीट सपा व भाजपा के दोनों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बनी है।
कारण, भारतीय जनता पार्टी ने अपने सीटिंग सांसद भरत सिंह का टिकट काटकर यह पार्टी के किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह मस्त को चुनाव लड़ाने का निर्णय लिया है। पार्टी के थिंक टैंक का मानना है कि सवर्ण एवं अन्य पिछड़ी जातियों के समर्थन से उसे फिर सफलता मिलेगी। वही दूसरी ओर समाजवादी पार्टी, जो बहुजन समाज पार्टी एवं राष्ट्रीय लोकदल के साथ महागठबंधन कर अपने खोये हुए किले पर दुबारा अपना वर्चस्व करना चाहती है। इसके लिए पार्टी हाईकमान जातिय समीकरण के आधार पर प्रत्याशी लड़ाना चाहती है ताकि उसे ‘यादम’ यानि की यादव, दलित और मुस्लिम मतदाताओं के साथ-साथ प्रत्याशी की बिरादरी का भी वोट मिले और उसका उम्मीदवार विजयी बने। इसी लिहाज से सपा के थिंक टैंक द्वारा बलिया की सीट के लिए पिछले एक पखवारे से अधिक समय से मंथन किया जा रहा है। हालांकि सूत्रों की माने तो समाजवादी पार्टी यहाँ से भूमिहार अथवा ब्राह्मण बिरादरी का उम्मीदवार मैदान में उतारने को लेकर गंभीर है। उसका मानना है कि इससे यादव प्लस का विनिंग कम्बिनेशन बनेगा।
सूत्र बताते है कि इसके लिए पार्टी हाईकमान विशेष तौर दो नामों पर चर्चा कर रहा है। जिनमें योगेन्द्र नाथ आईटीआई के प्रबंधक और भूमिहार बिरादरी से तालुक रखने वाले समाजसेवी अजीत मिश्रा और दूसरे में पार्टी के राज्यसभा सांसद नीरज शेखर है। हालांकि इसके अलावा ब्राह्मण बिरादरी से पूर्व विधायक और दर्जा प्राप्त मंत्री रहे सनातन पाण्डेय और पिछड़ी जाति से तालुक रखने वाले पार्टी के जिला इकाई के अध्यक्ष संग्राम सिंह यादव भी दावेदारी कर रहे है। सूत्र बताते है कि पार्टी हाईकमान अखिलेश यादव मुख्यतया जिन दो नामों पर चर्चा कर रहे है उनमें अजीत मिश्रा और नीरज शेखर ही शामिल है।
रोचक बात यह है कि यदि सपा नीरज को टिकट थमाती है तो ठाकुर बिरादरी का वोटर असमंजस की स्थिति में होगा, जबकि अजीत मिश्रा को सपा टिकट देती है तो भूमिहार बिरादरी के मतदाता यादम को मजबूती देकर विजयी समीकरण बनायेंगे। चंूकि मुहम्मदाबाद, जहुराबाद और फेफना विधान सभा क्षेत्रों में भूमिहार बिरादरी के मतदाताओं की संख्या बहुतायत है, ऐसे में यह समीकरण सपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। बहरहाल, चुनावी राजनीति में किसी भी राजनीतिक दल और उसके निर्णय के बारे में सटीक टिप्पणी करना बेमानी होगा, लेकिन दलगत राजनीति और उसके अंदरखाने चल बनते-बिगड़ते समीकरण तो यही ईशारा कर रहे है कि सपा शायद इस बार जातिय समीकरण के आधार पर नये चेहरे के साथ मैदान में आये।
By-Ajit Ojha
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