गिरीश कर्नाड के निधन से बलिया का साहित्य जगत मर्माहत
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बलिया। प्रख्यात रंगकर्मी और नाटककार गिरीश कर्नाड के निधन से साहित्य व कला जगत मर्माहत है। 19 मई 1938 को महाराष्ट्र के माथेरन में जन्में कर्नाड साहब एक प्रतिबद्ध रंगकर्मी थे। लम्बी बिमारी के बाद 81 वर्ष की अवस्था में दुनिया के रंगमंच से विदा हो गये। अपनी श्रद्धांजलि देते हुए जनपद के वरिष्ठ रंगकर्मी व संकल्प के सचिव आशीष त्रिवेदी ने कहा किभारत के जाने माने समकालीन लेखक, अभिनेता, फ़िल्म निर्देशक और नाटककार गिरीश कर्नाड की लेखनी कन्नड़ और अंग्रेजी भाषा दोनों में समान रूप से चलती रही 1998 में ज्ञानपीठ सहित पद्मश्री व पद्मभूषण जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों के विजेता कार्नाड द्वारा रचित तुगलक, हयवदन, तलेदंड, नागमंडल व ययाति जैसे नाटक अत्यंत लोकप्रिय हुये और भारत की अनेकों भाषाओं में इनका अनुवाद व मंचन हुआ है। प्रमुख भारतीय निदेशको - इब्राहीम अलकाजी, प्रसन्ना, अरविन्द गौड़ और बी.वी. कारंत ने इनका अलग- अलग तरीके से प्रभावी व यादगार निर्देशन किया है।
विलक्षण, बहुआयामी बुद्धिजीवी और प्रतिबद्ध संस्कृतिकर्मी गिरीश कर्नाड का देहावसान कला जगत के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है। वह अभिव्यक्ति की आज़ादी के मुखर हिमायती और समाज में बहुलतावाद के पक्षधर थे और खुल कर इन मसलों पर बेबाकी से राय रखते थे। अद्भुत नाटककार और अभिनेता। 'उत्सव' फिल्म के निर्देशक। निशांत, मंथन और स्वामी के साथ-साथ तमाम फिल्मों में छोटी लेकिन महत्त्वपूर्ण भूमिकाओं में उनका काम याद रखने लायक है। सलमान ख़ान की एक था टाइगर और टाइगर ज़िंदा है में रॉ चीफ शेनॉय की भूमिका निभाई थी । संकल्प के आर्य समाज रोड स्थित कार्यालय पर कर्नाड साहब को श्रद्धांजलि देने वालों में युवा रंंगकर्मी आनंद कुमार चौहान , सोनी , ट्विंकल गुप्ता , गजल , स्नेहा , अर्जुन कुमार रावत , रोहित , राहुल , अखिलेश , विवेक , संतोष शर्मा , संजय मौर्य , दीनानाथ वर्मा उपस्थित रहे।
By-Ajit Ojha
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