poem
उत्तर प्रदेश  Kavyoday 

वादा तुझे निभाना ही था...

वादा तुझे निभाना ही था... बारिश ! तुमको आना ही था गर्मी ने था खूब सतायाउमस पसीना खूब बहायाजीव-जन्तुओं को तड़पायाजमकर अपना रंग दिखाया एकदिन उसको जाना ही थाबारिश ! तुमको आना ही था। धरती मां का हृदय जुड़ायापत्ता-पत्ता धुला...
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उत्तर प्रदेश  बलिया  अपनी बात 

बहुत दिनों बाद बलिया की डॉ. मिथिलेश को अमूल्य निधि से मिला 'सोना ही सोना'

बहुत दिनों बाद बलिया की डॉ. मिथिलेश को अमूल्य निधि से मिला 'सोना ही सोना' बहुत दिनों बाद कुछ लिखने का मन हुआ, किंतु तमाम कोशिश के बाद भी कोई विषय नहीं मिला तो मैं अमूल्य निधि रामायण को लिया और मुझे मिला...सोना ही सोना जब पड़ा अकाल जनकपुर मेंनृप ने सोने का...
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उत्तर प्रदेश  बलिया  Kavyoday 

तुम न उनसे हार जाना...

तुम न उनसे हार जाना... तुम न उनसे हार जानाराह में अगणित भले अवरोध आयेंरोक देने को तुझे प्रतिरोध आयेंभौंह टेढ़ी कर प्रचण्ड विरोध आयेंतमतमाये लाल पीले क्रोध आयें किन्तु रण में पीठ अपनी न दिखानातुम न उनसे हार जाना।...
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उत्तर प्रदेश  बलिया 

वो तुम्हारे तोड़ने की जिद थी, ये हमारे जोड़ने की जिद है...

वो तुम्हारे तोड़ने की जिद थी, ये हमारे जोड़ने की जिद है... जोड़ने की जिद पता नहीं क्योंमुझे बार-बारतोड़ा गयापत्थर सेफोड़ा गयाऔर बनाकर मेरेनन्हें-नन्हें टुकड़ेफेंक दिया गयादूर-दूर तक, ताकिधूप में सूख जाऊँशीत में गल जाऊँधूल में मिल जाऊँ; हुआ कुछ अलग,...
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उत्तर प्रदेश  बलिया 

निगहबान आंखों की, वो बात पुरानी थी...

निगहबान आंखों की, वो बात पुरानी थी... वो बात पुरानी थी लोग मिलते हैं आजकल,एक दूजे से कभी,पर आत्मीयता की, वो बात पुरानी थी।  मिलते भी हैं जो, सच्चे मन से कहीं, पर निश्चल, निर्मल भाव की, वो बात पुरानी थी। कहीं बिगड़ेंगे कहीं,तो...
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उत्तर प्रदेश  बलिया  शिक्षा 

Teacher's composition : रात इकाई, नींद दहाई, ख्वाब सैकड़ा, दर्द हजार...

Teacher's composition : रात इकाई, नींद दहाई, ख्वाब सैकड़ा, दर्द हजार... रात इकाई, नींद दहाईख्वाब सैकड़ा, दर्द हजारजियो सरलता से ये जीवननहीं है मिलता बारम्बार कुछ पाना है गर दुनिया मेंकिए जा मेहनत, हो आबादखुद का साया भी दिखता हैखिली धूप आने के बाद कोई...
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उत्तर प्रदेश  बलिया  बड़ी खबर 

खुल कर मैं बोलूं, अलि सा डोलूं, पर वो हरदम

खुल कर मैं बोलूं, अलि सा डोलूं, पर वो हरदम छंद-त्रिभंगी सृजन शब्द-अभिलाषा 10, 8, 8, 6 मन की अभिलाषा, कैसी भाषा, मूक रहे पर, कह जाए।नयनों से बोलें, मुख कब खोलें, चंचल चितवन, तरसाए।।है विटप लता सी, यौवन दासी, अधर गुलाबी, मुसकाए। है नैन कटीले, अंग सजीले,...
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